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इस्लाम और मुस्लिम भाईचारे के नाम पर हिंसा और गुंडागर्दी को छुपाओ. यह है रवैया, अमूमन, बड़े मीडिया का.

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न्यूज़ मैगज़ीन Lallantop के अनुसार जयपुर में 8 सितम्बर को शुरू हुए हिंसक फ़साद के बारे में फेसबुक पर कुछ भ्रामक और भड़काने वाली सामग्री दी गई है.

Lallantop के इस विडियोके अनुसार, दिनेश भाटी सियाणा नामक एक फेसबुक उपयोगकर्ता ने अपनी वाल पर फर्ज़ी सामग्री की मदद से 'हिन्दुओं'को 'मुसलामानों'के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया है.

Lallantop की इस रिपोर्ट पर पेश हैं मेरे कुछ विचार.
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मैं फेसबुक सब्सक्राइबर नहीं हूँ. दिनेश भाटी सियाणा ने यदि भ्रामक और भड़काऊ प्रचार किया है तो वह निंदनीय है. 

पर Lallantop और अन्य मुख्यधारा के मीडिया वालों का रवैया सियाणा से भी अधिक भ्रामक है क्योंकि वे इस्लाम और मुस्लिम भाईचारे के नाम पर किये जाने वाले दंगो और हिंसा को न तो इमानदारी से कवर कर रहे हैं और न ऐसी हिंसा की भयानक सच्चाई को उसके यथार्थ नामों और विशेषणों से पुकार रहे हैं.   

परिणाम यह हो रहा है कि यह भयानक सच्चाई न तो जनता तक पहुँच रही है और न उस पर तबसरा और समालोचना हो रही है. 

सूचना और समझ का अभाव एक बड़ी वजह है कि सियाणा जैसे सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की पोस्ट को हज़ारों व्यूज़ मिल रहे हैं.

पश्चिम बंगाल में बसीरहत में जुलाई में सैकड़ों लोगों ने इस्लाम के नाम पर दंगा किया और हिंसा की. 

वहां मुसलमानों के हजूम ने पुलिस स्टेशन को घेर लिया था और एक नाबालिग़ लड़के -- जिस पर इस्लाम कि तौहीन का इलज़ाम था -- को जान से मारने की मांग कर रहे थे. 'हिन्दुओं'के घर और दुकानें जलाई गईं. एक 'हिन्दू'का क़त्ल भी किया गया.

अधिकतर मीडिया संस्थाओं ने इस इस्लामी उत्पात को या तो नज़रंदाज़ किया या दबे हुए, छुपाने वाले लहजे में बयान किया.

यदि आपने पिछले दिनों इंडियन एक्सप्रेस पढ़ा है तो आपको जयपुर में हुए दंगे पर भी 'इस्लाम'और 'मुस्लिम'भाईचारे की छाप साफ़ नज़र आयेगी.

(हालांकि इंडियन एक्सप्रेस ने भी कभी इस्लाम या मुस्लिम भाईचारे के नाम पर की गई हिंसा और गुंडागर्दी को ठीक से रेखांकित नहीं किया है.)

जयपुर में भी सैकड़ों लोगों की भीड़ ने पुलिस स्टेशन को घेरा. ख़बरों में एक रिक्शे वाले की मौत का उल्लेख है जिसे  देख कर लगता है इस के ज़िम्मेदार दंगाई थे.

आनंद रंगनाथन और कुछ अन्य पत्रकारों ने मुख्यधारा की मीडिया संथाओं के इस भ्रामक रवैये को तथ्यों और आकड़ों से उजागर करने का प्रयास किया है, और इसकी आलोचना भी की है. 

रंगनाथन के अनुसार क्षेत्रीय और हिंदी मीडिया ही है जो कुछ हद तक तथाकथित 'अल्पसंख्यकों'के आतंक और हिंसा को उजागर कर रहा है. बड़ा मीडिया ऐसी ख़बरों को देख कर भी अनदेखा कर रहा है और इस अनदेखी को अपनी 'असाम्प्रदायिकता'की दलील समझता है.  

नीचे मुसलामानों द्वारा किये गए उत्पात, दंगे और हिंसात्मक हरकतों की कुछ ख़बरें हैं जो क्षेत्रीय मीडिया ने तो छापीं पर राष्ट्रीय मीडिया ने नज़र-अंदाज़ कर दीं. 

https://twitter.com/ARanganathan72/status/907191821846974465

https://twitter.com/ARanganathan72/status/905072871684182016

https://twitter.com/ARanganathan72/status/905072131100205056 

https://twitter.com/ARanganathan72/status/905071434489249792

https://twitter.com/ARanganathan72/status/905070609880645632

https://twitter.com/ARanganathan72/status/905069443323011074

https://twitter.com/ARanganathan72/status/899637777968398336

https://twitter.com/ARanganathan72/status/899636415696297985

https://twitter.com/ARanganathan72/status/899635298920931328

https://twitter.com/ARanganathan72/status/899631972443607041

https://twitter.com/ARanganathan72/status/896706387287330816

https://twitter.com/ARanganathan72/status/895669971015028737

https://twitter.com/ARanganathan72/status/895668897638006788

https://twitter.com/ARanganathan72/status/895667442038341632

https://twitter.com/ARanganathan72/status/895665504479727616

https://twitter.com/ARanganathan72/status/892364666713784320

https://twitter.com/ARanganathan72/status/892363288746405888

https://twitter.com/ARanganathan72/status/891364438824992768

https://twitter.com/ARanganathan72/status/891362586360332288

https://twitter.com/ARanganathan72/status/890189283864203264
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इस पोस्ट में आनंद रंगनाथन के tweets के अतिरिक्त निम्नलिखित वेब लिंक्स दिए गए हैं.

1. http://indianexpress.com/article/india/jaipur-clashes-one-dead-in-police-firing-curfew-imposed-in-ramganj-area-live-updates-4835187/

2. https://www.youtube.com/watch?v=UmOoK0kCUIg

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