Schoolchildren in Pakistan are fed a lot of propaganda and nonsense, especially under the subject 'Pakistan Studies', as this article in Urdu by Zunaira Saqib shows.
It was published on 19 Nov. 2017 in 'Humsub.com.pk.
I have provided here the Devanagari transcript of Saqib's article without any other change.
'Pakistan Studies' is called 'Mutaalia-e-Pakistan' ('मुतालिआ-ए-पाकिस्तान') in Urdu.
Saqib teaches management and HR at NUST Business School in Islamabad and also writes columns for newspapers and magazines.
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मुतालिआ-ए-पाकिस्तान की आख़िरी किताब
(ज़ुनैरा साक़िब, ‘हम सब’ मैगज़ीन, 19 नवम्बर 2017)
“हम सब कौन हैं?”
“मुसलमान”
“लेकिन टीचर मैं तो मुसलमान नहीं. मैं तो...”
“चुप! चूड़ा कहीं का!”
“चुप रह! यहाँ रहना है तो चुप रह.”
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“हिन्दू कौन हैं?”
“हिन्दू इंडिया में रहने वाले रज़ील लोग हैं. ये हमारे दुश्मन हैं.”
“लेकिन टीचर मैं तो हिन्दू हूँ. मैं तो पाकिस्तानी हूँ”
“हिन्दू हो तो हिन्दुस्तान जाओ ना!”
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“1965 में हिन्दुस्तान ने रात के अँधेरे में पाकिस्तान पर हमला कर दिया.”
“पाक फ़ौज ने जम कर मुक़ाबला किया और आख़िरकार 17 दिन बाद हिन्दुओं की फ़ौज ने हथियार डाल दिए.”
“लेकिन टीचर ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ तो पाकिस्तान ने शुरू किया था”
“क्या कहा?”
“और ‘ताशकंद मुआहिदे’ में तो सीसफ़ायर का ज़िक्र है”
“कैसा ग़द्दार बच्चा है. पकिस्तान का नाम बदनाम करता है. चल मुर्गा बन मुर्गा.”
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‘जीम’ से जग, ‘चे’ से चिड़िया, ‘हे’ से हब्शी”
“हब्शी? हब्शी कहना तो कोई अच्छी बात नहीं”
“क्यूँ बे! तुझे बड़ी हमदर्दी है कालों से”
“चलो भई, आज से इस को भी ‘काली अंधी’ बोला करो.”
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“सब से अच्छा मज़हब कौन सा है?”
“सब से अच्छा मज़हब इस्लाम है.”
“क्यूँ बे तू नहीं बोल रहा?”
“जी मेरा मज़हब तो कुछ और है.”
“इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान है ये. इस्लामी जम्हूरिया. समझा क्या? सब से अच्छा मज़हब इस्लाम, बाक़ी सब बकवास.”
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“दो क़ौमी नज़रिया ये है कि हिन्दू और मुसलमान दो अलग अलग कौमें हैं और ये मिल कर नहीं रह सकतीं. इसीलिए हम ने पाकिस्तान बनाया.”
“लेकिन अगर ये दोनों मिल कर नहीं सकतीं तो 1000 साल हिन्दुस्तान में जब मुसलमान हुक्मरान थे तो कैसे मिल कर रहती थीं?”
“चलो चलो बच्चों ब्रेक का टाइम हो गया.”
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“तो ये रही पाकिस्तान की तारीख़”
“टीचर इस में तो बांग्लादेश का कोई ज़िक्र ही नहीं”
“बांग्लादेश तो पुरानी ख़बर हुई. चलो आज बलोचिस्तान को पढ़ते हैं.”
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“जिहाद क्या होता है?”
“जिहाद अल्लाह की राह में काफ़िरों के ख़िलाफ़ जंग को कहते हैं.”
“काफ़िर कौन होता है?”
“जो मुसलमान न हो.”
“पाकिस्तानी हिन्दू, ईसाई, यहूदी, क़ादियानी, शिया, सब काफ़िर हैं? उन के ख़िलाफ़ जिहाद फ़र्ज़ है?”
“क्या बे बहुत सवाल करता है! चल निकल यहाँ से! जा जाकर उन्हीं काफ़िरों से पढ़. चल भाग!”
It was published on 19 Nov. 2017 in 'Humsub.com.pk.
I have provided here the Devanagari transcript of Saqib's article without any other change.
Saqib teaches management and HR at NUST Business School in Islamabad and also writes columns for newspapers and magazines.
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मुतालिआ-ए-पाकिस्तान की आख़िरी किताब
(ज़ुनैरा साक़िब, ‘हम सब’ मैगज़ीन, 19 नवम्बर 2017)
“हम सब कौन हैं?”
“मुसलमान”
“लेकिन टीचर मैं तो मुसलमान नहीं. मैं तो...”
“चुप! चूड़ा कहीं का!”
“चुप रह! यहाँ रहना है तो चुप रह.”
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“हिन्दू कौन हैं?”
“हिन्दू इंडिया में रहने वाले रज़ील लोग हैं. ये हमारे दुश्मन हैं.”
“लेकिन टीचर मैं तो हिन्दू हूँ. मैं तो पाकिस्तानी हूँ”
“हिन्दू हो तो हिन्दुस्तान जाओ ना!”
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“1965 में हिन्दुस्तान ने रात के अँधेरे में पाकिस्तान पर हमला कर दिया.”
“पाक फ़ौज ने जम कर मुक़ाबला किया और आख़िरकार 17 दिन बाद हिन्दुओं की फ़ौज ने हथियार डाल दिए.”
“लेकिन टीचर ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ तो पाकिस्तान ने शुरू किया था”
“क्या कहा?”
“और ‘ताशकंद मुआहिदे’ में तो सीसफ़ायर का ज़िक्र है”
“कैसा ग़द्दार बच्चा है. पकिस्तान का नाम बदनाम करता है. चल मुर्गा बन मुर्गा.”
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‘जीम’ से जग, ‘चे’ से चिड़िया, ‘हे’ से हब्शी”
“हब्शी? हब्शी कहना तो कोई अच्छी बात नहीं”
“क्यूँ बे! तुझे बड़ी हमदर्दी है कालों से”
“चलो भई, आज से इस को भी ‘काली अंधी’ बोला करो.”
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“सब से अच्छा मज़हब कौन सा है?”
“सब से अच्छा मज़हब इस्लाम है.”
“क्यूँ बे तू नहीं बोल रहा?”
“जी मेरा मज़हब तो कुछ और है.”
“इस्लामी जम्हूरिया पाकिस्तान है ये. इस्लामी जम्हूरिया. समझा क्या? सब से अच्छा मज़हब इस्लाम, बाक़ी सब बकवास.”
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“दो क़ौमी नज़रिया ये है कि हिन्दू और मुसलमान दो अलग अलग कौमें हैं और ये मिल कर नहीं रह सकतीं. इसीलिए हम ने पाकिस्तान बनाया.”
“लेकिन अगर ये दोनों मिल कर नहीं सकतीं तो 1000 साल हिन्दुस्तान में जब मुसलमान हुक्मरान थे तो कैसे मिल कर रहती थीं?”
“चलो चलो बच्चों ब्रेक का टाइम हो गया.”
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“तो ये रही पाकिस्तान की तारीख़”
“टीचर इस में तो बांग्लादेश का कोई ज़िक्र ही नहीं”
“बांग्लादेश तो पुरानी ख़बर हुई. चलो आज बलोचिस्तान को पढ़ते हैं.”
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“जिहाद क्या होता है?”
“जिहाद अल्लाह की राह में काफ़िरों के ख़िलाफ़ जंग को कहते हैं.”
“काफ़िर कौन होता है?”
“जो मुसलमान न हो.”
“पाकिस्तानी हिन्दू, ईसाई, यहूदी, क़ादियानी, शिया, सब काफ़िर हैं? उन के ख़िलाफ़ जिहाद फ़र्ज़ है?”
“क्या बे बहुत सवाल करता है! चल निकल यहाँ से! जा जाकर उन्हीं काफ़िरों से पढ़. चल भाग!”
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